what you Know
हम लोगों (डॉक्टर्स) को बहुत सी आधारभूत अति महत्वपूर्ण चीजों का नहीं पता है । उदाहरण के लिए -विटामिन डी की कमी । विटामिन डी की कमी हमारे समाज में 95% से भी अधिक व्यक्तियों में है । बच्चों में भी इसकी कमी शुरुआत से ही देखने को मिलती है । हमें इसके कार्य के बारे में भी बहुत कम जानकारी है । हमें मुख्यतः हडिड्यों पर ही इसके कार्य की जानकारी है । हम मानते हैं कि इसकी कमी होने से बच्चों और बड़ो में हडिड्यों के रोग हो जाते हैं । हडिड्यों पर होने वाले कार्य 1 प्रतिशत ही है । इसके मुख्य कार्य शरीर के प्रत्येक अंगो पर हैं । जानकारी के आभाव में न ही हम अपने मरीजों को परेशानी होते हुए भी सही तरीके से उनकी बीमारी को, न तो समझ पा रहे हैं और न ही उनका सही तरीके से इलाज कर पा रहे हैं। विटामिन डी की कमी इतने अधिक व्यक्तियों में क्यों है , इसकी भी सही जानकारी हमें नहीं हैं । 90% विटामिन डी की आवश्यकता सूर्य की रोशनी से पूरी होती है । हम सोचते हैं कि हम तो काफी समय सूर्य की रोशनी में रहते हैं । सही तरीके से सही समय पर 15 – 20 मिनट ली गई सूर्य की रोशनी हमारी विटामिन डी की जरूरतों के लिए पर्याप्त है ।
हमारे जो लैब टैस्ट होते हैं , उनकी जो नार्मल वैल्यू ( सही स्तर ) रिपोर्ट में देते हैं , वह भी अधिकतर टैस्ट का सही नहीं दिया जा रहा है । उन्हें भी बदलना आवश्यक है । यदि हम विटामिन डी का उदाहरण ले तो इसकी लैब की नार्मल वैल्यू 30-100 ng/ml होती है । जबकि इसके मुख्य कार्य ही 50 ng से ऊपर यदि है तभी शुरू होते हैं । 50 ng से ऊपर विटामिन डी का स्तर 1% व्यक्तियों में भी नहीं है । इसका सही स्तर 50 – 80 ng/ml होना चाहिए । इसके लिए 10 बजे से 3 बजे के बीच 20 मिनट सूर्य की रोशनी पर्याप्त है । इसे लेते समय शरीर के आधे से अधिक हिस्सों पर वस्त्र न हो । यदि हम ऐसा नहीं कर सकते तो दूसरा कम अच्छा उपाय है कि हम इसे दवाई के रूप में (Supplement) लें |