मिशन हैल्थ की शुरूआत 18 वर्ष पूर्व, स्वास्थ्य जागरूकता अभियान से हुई। हमने महसूस किया कि बहुत से लोग जाने अनजाने में बहुत सी गलत आदतों के साथ जी रहे है, जो कि वे छोड सकते है, यदि उन्हे सही सलाह मिले। हमने इन्डियन मैडिकल एसोसियेशन शामली की सभा में स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाने का 18 वर्ष पूर्व निर्णय लिया। इसके अन्तर्गत बीमारियों के विभिन्न कारणों (Risk Factors) पर पैम्पलेट तैयार किये गये। इन पैम्पलैट को समय-समय पर समाचार पत्रों के माध्यम से जन साधारण तक पहॅुचाया गया। इनमें मुख्य रूप से डायबीटिज, उच्च रक्त चाप, अधिक वजन एवं मोटापा, मानसिक तनाव, धुम्रपान, नशामुक्ति, बच्चों की समस्यायें, हृदय रोग एवं उनके कारण, संतुलित भोजन, भोजन की बुरी आदतें एवं वरिष्ठ नागरिकों की समस्यायें आदि थी। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं, क्लबों, मीडिया एवं जनसाधारण द्वारा इस अभियान को अत्यन्त प्यार, सम्मान, सहयोग एवं उत्साहवर्धन मिला। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा समय-समय पर इनका संकलन भी प्रकाशित कराया गया।
बहुत से व्यक्तियों ने अपनी जीवन शैली को बदला और इनसे उन्हे अत्यन्त लाभ हुआ। लेकिन इस अभियान को करते हुये हमें महसूस हुआ कि बहुत से ऐसे व्यक्ति हैं, जिनमें इन बुरी आदतों या कारणों में कोई भी कारण मौजूद नही है, लेकिन वे बीमार हैं। बहुत से ऐसे व्यक्ति भी थे, जिन्होने अपनी बुरी आदतों को बदला, लेकिन उनकी बीमारी, उनकी दवाईयाॅ एवं उनकी ऊर्जा के स्तर पर बहुत अधिक प्रभाव नही पडा। हमें महसूस हुआ कि इन कारणों के अलावा भी कुछ और कारण हैं जिन पर हम ध्यान नही दे रहे हैं। विस्तार से अध्ययन करने पर कुछ आश्चर्यजनक बातें सामने आई। इन कारणों के अलावा भी बहुत से अन्य कारण है, जो काफी सालों से (जन्म से ही) मौजूद हैं और यें बीमारियाँ भी धीरे – धीरे लम्बे समय से विभिन्न चरणों से होकर गुजरती हैं। हम इन्हे विभिन्न टैस्टों द्वारा पता भी कर सकते हैं। यें कारण हम सभी स्वस्थ लोगों में बिना किसी परेशानी के सालों से होते हैं और धीरे-धीरे हम बीमारियों की तरफ बढते रहते हैं। अध्ययन में एक बात और स्पष्ट हुई कि इन टैस्टों की जो नार्मल रेंज है, वह बहुत बडी है। इस रेंज में व्यक्ति सही महसूस करता है, लेकिन वह पूर्ण स्वस्थ नही होता। पूर्ण स्वस्थ होने के लिये हमें इनकी स्वस्थ रेंज (Healthy Level या Optimal Level) को अपनाना होगा। इसके स्तर की रेंज कम होती है। इन स्तर को अपनाकर हम ऐसे बहुत से मरीजों की बीमारी को उसकी प्रथम चरण में पकड सके जिनमें नार्मल रेंज सामान्य थी। जबकि Optimal Range असामान्य थी। इलाज करते समय भी इन्हे Optimal Range पर लाकर ही हम इन बीमारियों को आगे बढने से रोक सकते हैं। इन स्तर को अपनाकर हम बीमारियों को जल्द पता कर सकते है और उनका सही इलाज भी कर सकते हैं। हमने महसूस किया कि हमारी पोषक पदार्थो को लेने की रोजाना की खुराक भी बहुत कम है। इनसे हम इस Optimal Level को प्राप्त नही कर सकते। इसके लिये हमें सही खुराक (Optimal Intake) लेनी होगी। जो RDA से कई गुना ज्यादा होती है। हमने इन कारणों में से कुछ को अपने मित्रों और परिवार के लोगों के लिये टैस्ट कराया। हम इनके परिणामों से आश्चर्य चकित थे। इन कारणों को दूर करने पर इनके परिणाम भी चैंकाने वाले रहे। हमने इन सभी कारणों का पता करने और इन्हे ठीक करने का निश्चय किया। इन्हे पता करने के लिये टैस्टों की एक लम्बी लिस्ट थी। लेकिन इनमें से अधिकतर का इण्डिया में होना सम्भव नही था। बहुत से टैस्टो को करने की कीमत बहुत अधिक थी। हमने कुछ टैस्टों को साधारणजनों के लिये बडे स्तर पर करने का एवं अन्य सभी कारणों को दूर करने का प्रयोग करने का निष्चय किया। हमने शामली के अन्य चिकित्सा संगठनों एवं सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर जीवन शैली में बदलाव प्रोग्राम की शुरूआत की। हमने शामली को एक रोल माॅडल (Role Model) के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया। इस अभियान में हमने कुछ राष्ट्रीय लैब जैसे रैनबेक्सी एवं डा0 लाल पैथ को शामिल किया। उन्होने कुछ टैस्टो को काफी कम मूल्य पर कुछ समय के लिये किया। इनमें विटामिन B12, विटामिन D, इन्सूलिन एवं होमासिस्टीन मुख्य रूप से थे। विटामिन B12 एवं विटामिन D को लगभग 50 प्रतिषत की कीमत पर कराया गया। यह प्रोग्राम 10 वर्ष पूर्व (April 2011) शुरू हुआ। इसमें भाग लेने वाले व्यक्तियों की विस्तार से स्वास्थ्य की जाँच और उनके सभी स्वास्थ्य का रिकार्ड लिया गया। उनकी तीन दिन की जीवन शैली का विस्तार पूर्वक विवरण लिया गया। इनमें इन्डियन मैडिकल एसोसियेशन शामली के सदस्यों के साथ, नीमा शामली, रोटरी क्लब शामली, लायन्स क्लब शामली, भारत विकास परिषद शामली, कमला कालोनी शामली एवं अन्य संस्थाओं के सदस्यों ने भाग लिया। रजिस्ट्रेशन एवं स्वास्थ्य रिकार्ड लेने के बाद इन लोगों के साथ रोजाना एक घंटे की योग कक्षा की शुरूआत की गई। योग कक्षा में भारतीय योग संस्थान का प्रमुख रूप से योगदान रहा। एक योगाचार्य की देख-रेख में 1 घंटे की योग कक्षा में विभिन्न आसन, प्राणायाम एवं मेडिटेशन कराये गये। उसके पश्चात इन्डियन मैडिकल एसोसियेशन शामली के सदस्यों द्वारा विभिन्न विषयों पर जीवन शैली में बदलाव के लिये कुछ टिप्स दिये गये। यह योग कक्षा अभी भी जारी है। 3 से 6 महीने में ही अधिकतर मरीजों को छोटी-छोटी समस्यायें खत्म होने लगी और उनकी ऊर्जा के स्तर में भी काफी बढोतरी हुई। एक से दो सालों में ही बहुत से मरीजों की दवाईयाॅ 1/3 से आधी तक कम हो गई। हमारे कुछ साथी डाक्टर्स ने अपने परिवार और कुछ मरीजों में इन्हे अपनाया और अनुकूल परिणाम सामने आये। इसी बीच इस प्रोग्राम के शुरू होने के 8 महीने बाद ही (जनवरी 2012) में रैनबैक्सी लैब ने विटामिन डी के टैस्ट को पूरे भारत वर्ष में शामली की तरह उन्ही रियायती दरों पर किया और प्रचार सामग्री डाक्टर्स को दी। आज विटामिन डी की जागरूकता पूरे भारतवर्ष में है।
दो वर्ष पश्चात् ही हमें आभास होने लगा था कि हम इन सभी कारणों को दूर करके इन लंबी बीमारियों को आगे बढ़ने से रोक सकते है और उन्हे काफी कम भी कर सकते हैं। इन बीमारियों में दवाईयों की मात्रा को भी काफी कम कर सकते हैं। डायबीटिज, हाई ब्लड प्रैशर , थायरायड एवं अन्य बीमारियों के अलावा कुछ खतरनाक बीमारियों में भी इसके परिणाम चैंकाने वाले रहे। इसके पश्चात हमने इसे उच्च स्तर पर उठाने का निर्णय लिया। इस कार्य के लिये हमारे सभी आई0एम0ए0 सदस्यों के साथ नीमा डाक्टर्स (NIMA) ने भी सहयोग एवं समर्थन दिया। इसके पश्चात इन्टरनेट (Facebook) पर विभिन्न डाक्टर्स के ग्रुप में इसे शेयर किया।
इसे इण्डियन मेडिकल ऐसोसिएषन के विभिन्न मंचों पर उठाया। सामाजिक संस्थाओं के विभिन्न मंचों पर भी वार्ता की गई। बहुत सी सामाजिक संस्थायें इससे जुडी। स्थानीय समाचार पत्र में सप्ताह में तीन बार विभिन्न विषयों पर 250 से भी अधिक लेख प्रकाशित हुये। इनमें विभिन्न कारणों पर विस्तार से जानकारी दी गई। इन लेखों का प्रकाषन सत्यभाष दैनिक समाचार पत्र में किया गया। इनमें उन विषयों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला गया जिनकी जानकारी हम डाक्टर्स को भी अधिक नही थी और वें हमारे लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। उन्हे कैसे ठीक करे, इसको भी विस्तार से समझाया गया। बहुत से व्यक्तियों ने इसका लाभ लिया और अपनी जीवन शैली में इन्हे अपनाया। इन सभी विषयों पर लेखों को विभिन्न राजनेताओं के साथ विभिन्न मंचों पर भी साझा किया गया। उनकी ईमेल (Emails) पर भी इन्हे शेयर किया गया। (MP, MLA, Governor, CM and Gov. in)।
तीन वर्षों (April 2014) के पष्चात हमने महसूस किया कि अधिकतर व्यक्ति बहुत से कारणों पर ध्यान नही दे रहे हैं। ऐसे कारण जो टैस्ट में भी असामान्य आये थे, उनको भी वें सही तरह से नही कर रहे थे। उदाहरण के लिये विटामिन डी लगभग सभी व्यक्तियों का बहुत कम था। लेकिन एक दो साल विटामिन डी के सप्लीमेन्ट लेने के बाद उन्होने बंद कर दिया। जाँच में दोबारा कम आने पर फिर से शुरू किया। विस्तृत रूप से जानकारी लेने पर पता चला कि किसी अन्य डाक्टर ने उन्हे बंद करने की सलाह दी थी। क्योंकि ज्यादा दिन लेने पर यह फायदे की जगह नुकसान कर सकती है। यह केवल मरीजों ही नही बल्कि हमारे आई.एम.ए. के सदस्यों और उनके परिवार के साथ भी यही हुआ। हम अधिकतर कारणों को इसलिये सिद्ध नही कर सके क्योंकि उनका इण्डिया में हो पाना सम्भव नही था। जिन कारणों को हम टैस्ट कर पाये, उनमें से अधिकतर को हम उनकी दी हुई नार्मल रेंज के कारण कम व्यक्तियों में सिद्ध कर पाये। जो बिल्कुल असामान्य थे, उनका हमारी सोच (Misconceptons) और हमारी किताबों में लिखी उनकी खुराक (RDA) के कारण सही तरीके से इलाज सम्भव नही हो पाया।
मिशन हैल्थ की वेबसाइट भी तैयार की गई। इससे हमें मिशन हैल्थ को दूर बैठे लोगों को इसके विषय में जानकारी देने और उनकी राय एवं विचार जानने में काफी आसानी हो गई। इसको इण्डियन मैडिकल एसोसियेशन शामली द्वारा आयोजित CME 2015 में भी रखा गया। रोटरी के उच्च मंचों पर भी इस विषय पर वार्ता रखी गई।
इसे और अधिक क्षमता से करने के लिये रोटरी क्लब शामली एवं इण्डियन मैडिकल ऐसोसियेशन शामली द्वारा मिशन हैल्थ टीम बनाई गई। समाज की विभिन्न संस्थाओं एवं डाक्टर्स के साथ एक मिशन हैल्थ वर्कशाप का आयोजन किया गया। जो 2 -3 सप्ताह के अंतराल पर चार दिनों के लिये की गई। प्रत्येक दिन 2 घंटे की वर्कशाप का आयोजन किया गया। इसमें मिषन हैल्थ के बारे में विस्तार से प्रायोगिक रूप से (Audio-Visual) जानकारी दी गई। इनके सभी कारणों एवं उन्हे ठीक करने के लिये विस्तार से बताया गया। इस वर्कशाप के अन्त में शामली की सभी सामाजिक एवं राजनीतिक संस्थाओं ने इस मिशन में हर सम्भव सहयोग का आश्वाश्न दिया। नवम्बर माह 2017 में पी.जी.आई. चंढीगढ में आयोजित प्रथम WORLD NCD Conference के अवसर पर Preconference में मिशन हैल्थ पर विचार रखने का अवसर मिला। वहाॅ पर देश विदेश से आये हुये वक्ताओं को इन बीमारियों की बढती हुई रफ्तार को रोकने के उपाय सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मिशन हैल्थ पर विचार रखते हुये हमने संदेश दिया कि यदि हम इन सभी उपायों के साथ मूल कारणों को खत्म करने पर भी जोर दें तो हम बहुत जल्द इन बीमारियों पर अंकुश लगा पायेंगे। मिशन हैल्थ को वहाँ पर बहुत सराहा गया और इस पर आगे कार्य करने का आश्वासन भी मिला।
नवम्बर 2017 में ही हिन्द मैडिकल कालेज लखनऊ में मिशन हैल्थ पर आयोजित CME में मिषन हैल्थ को विस्तार से रखने का अवसर मिला। सभी Faculty Members से इसके लिये बहुत सराहना मिली। प्रोफेसर जयवीर सिंह (Principal of HIMS and Member of MCI) जी ने इस कार्य की सराहना करते हुये कहा कि यदि हम ऐसा कर पाये तो बहुत जल्द देश का बहुत सा पैसा बचा पायेंगे, और इन बीमारियों को बहुत कम कर पाने में सफल होगें।
पी0जी0आई0 चंढीगढ और हिन्द मैडिकल कालेज में आयोजित CME के अनुभवों से हमें महसूस हुआ कि इन सभी मूल कारणों का सही तरह से लागू न होने का एक मुख्य कारण हमारी कुछ पुरानी रिसर्च हैं, जिनके अनुसार इन सप्लीमेंटस को लेने का बहुत अधिक लाभ नही है, बल्कि कुछ हानि ही हो सकती है। इन रिसर्च का विस्तारपूर्वक अध्ययन करने के पश्चात पाया कि इनमें बहुत सी कमियाँ हैं और हमें इन कमियों को दूर करके एक नई रिसर्च करनी होगी।
हमने इन मूलभूत कारणों को चिकित्सा शिक्षा में शामिल करने के लिये एक कानून बनाने के लिये कार्य करने का निश्चय किया। इस तरह का कानून बनाने के लिये एक Enrich Act Bill अमेरिका की संसद में भी पेश किया जा चुका है। इसके लिये July 2019 में आदरणीय केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जी और देहली के स्वास्थ्य मंत्री जी को विस्तारपूर्वक ज्ञापन भी दिया गया। मिशन हैल्थ के प्रस्ताव भी तैयार किये गये। इस प्रस्ताव में विभिन्न कारणों के लिये उन क्षेत्रों के विषेषज्ञों की एक टीम बनाकर उनमें आपसी तालमेल (Co-ordination) का सुझाव दिया गया। कुछ विषेषज्ञों से अलग-अलग बात भी की गई। एक विस्तारपूर्वक NCD Act Bill भी तैयार किया गया। इसे अपने क्षेत्र के राजनीतिज्ञों एवं इन्डियन मैडिकल एसोसियेशन के अधिकारियों के समक्ष भी रखा गया।
मार्च 2020 के पष्चात Covid 19 महामारी एवं लाकडाउन के समय भी इन आधारभूत (Basic) पदार्थों की उपयोगिता के लिये विभिन्न माध्यमों से आवाज उठाई गई। इसे प्रधानमंत्री जी, स्वास्थ्य मंत्री जी,I.C.M.R एवं अन्य उच्च स्तरों पर भी रखा गया है। इन्हे बहुत से व्यक्तियों पर Covid 19 की बीमारी होने से पहले और इसके मरीजों पर भी परखा गया। इनके बहुत अच्छे परिणाम सामने आये। इस Covid 19 महामारी में भी इन सभी आवश्यक पदार्थो की पूर्ति करके हम इस बीमारी में भी एक बहुत बडा परिवर्तन ला सकते हैं और मृत्युदर में एक महत्वपूर्ण कमी आ सकती है।
हम अपने पुराने अनुभवों के साथ सभी सामाजिक संस्थाओं और चिकित्सा संस्थाओं को साथ लेकर एक नया प्रयोग एवं अध्ययन (Research Study) करना चाहते हैं। इसे हम एक मान्यता प्राप्त चिकित्सा संस्थान की देख रेख में करना चाहते हैं, जिससे कि इनके परिणामों को मान्यता मिल सके।
हमारे 18 वर्ष के मिशन हैल्थ के अनुभव से यह स्पष्ट है कि हम इन मूलभूत कारणों को खत्म किये बिना इन बीमारियों की रफ्तार को नही रोक पायेंगे। इन कारणों की चिकित्सा समुदाय में जागरूकता लाने और उन्हे असरदार तरीके से खत्म करने के लिये सरकार को हस्तक्षेप करना ही होगा।