INDIAN MEDICAL ASSOCIATION
मिशन हैल्थ (Mission Health) क्यों ?
बीमारियाँ दो तरह की होती हैं । एक तो तुरन्त या कम समय (दिनों या हफ्तों ) में होने वाली और दूसरी धीरे – धीरे और लम्बे समय पशचात (सालो बाद ) पता लगने एव लम्बे समय तक रहने वाली बीमारियाँ । जल्दी होने वाली ( Acute ) बीमारियाँ अक्सर किसी एक कारण की वजह से होती हैं । और लम्बी ( Chronic ) बिमारियों के एक से अधिक कारण होते हैं । ( Multi factorial ) विशव स्वास्थय संगठन (W. H .O .) ने सौ से भी अधिक बीमारियों को लम्बी (Chronic) बीमारियों की सूचि में रखा हैं। इन बीमारियों में मुख्यत : डायबीटीज , उच्च रक्तचाप ,थायराइड की बीमारी ,जोड़ो और हडिड्यों की बीमारी , मोटापा , भूलने की बीमारी या याददाश्त की कमी , माहवारी को परेशानियाँ , मानसिक बीमारी व कैंसर आदि हैं ।
तुरन्त (Acute) होने वाली बिमारियो में हमारी चिकित्सा पद्धति एक वरदान की तरह हैं , क्योकि यह लक्षणो के साथ कारणों को जानने और उन्हें खत्म का कार्य करती हैं । लकिन लम्बी बीमारियों को समझने और उनके इलाज में कही ना कहीं कोई कमी हैं । हमने इन सभी लम्बी (Chronic) बीमारियों के बारे में राय बना ली है कि इनका सही कारण मालूम नहीं हैं। (हमारी किताबों में इन्हे Primary / Idiopathic / Essential की श्रेणी दे दी गई हैं । ) वास्तव में
इनके कारण हैं और अधिकतर कारण मालूम हैं । इन्हे हम एक से अधिक कारणों से होने वाली बीमारियाँ (Multifactorial Diseases) भी कहते हैं ।
हम इन बीमारियों (Chronic Diseases ) में कारणों का इलाज न करके केवल लक्षणों का इलाज कर रहे हैं । न ही हम कारणों को सोचते हैं और न ही उन्हें पता करने (Investigations) की कोशिश करते हैं । उदाहरण के लिए उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर ) के लिए हमारी मेडिकल की उच्च किताबों (Standard Books) में लिखा हैं कि 95% मरीजों में कारण पता नहीं हैं । (Primary / Idiopathic / Essential ) इसलिये हम हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों का इलाज केवल लक्षणों का कर रहे हैं । ऐसा करीब – करीब हर लम्बी बीमारी में हो रहा है । हमें कुछ समय के लिए बीमारी कम प्रतीत होती है । लकिन वह अन्दर ही अन्दर बढ़ती जाती है । एक बीमारी के बाद अन्य बहुत सी बीमारियाँ होती जाती हैं । साथ ही साथ बढ़ती जाती हैं , दवाइयों की सख्यां , उनकी मात्रा और उनसे होने वाले दुष्प्रभाव ।
-डाo अरविन्द तायल
एम.डी. (पैथोलोजी व बैक्टिरियोलोजी)